गंगा दशहरा | जानें इसका धार्मिक महत्व? क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा? | Ganga Dussehra

किसी भी देश में बहती नदी उस देश की संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ उसकी आर्थिक स्थिति पर भी अत्यधिक प्रभाव डालती है।

गंगा दशहरा, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार

भारतीय संस्कृति में नदियों को माता की उपाधि से विभूषित किया गया है, और गंगा नदी का उल्लेख संपूर्ण भारत और विश्व के असंख्य व्यक्तियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गंगा नदी भारतीयों की आस्था से जुड़ी हुई है और इसे भारत को एक सूत्र में बांधने का श्रेय प्राप्त है। देशवासियों की आस्था और श्रद्धा के अनुसार, मां गंगा का धरती पर अवतरण भगवान शिव के जटाओं से हुआ था, और इस दिन को गंगा के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि गंगा नदी में शुद्ध मन और आस्था के साथ स्नान करने से जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।

गंगा दशहरा से जुड़ी पौराणिक कथा

गंगा दशमी के विषय में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। महाराज सगर के अश्वमेध यज्ञ को विफल करने के लिए देवराज इंद्र ने अश्व का अपहरण कर पाताल लोक में तपस्या कर रहे महर्षि कपिल के आश्रम में छिपा दिया। जब महाराज सगर के पुत्र महर्षि कपिल के आश्रम में पहुंचे और वहां अश्व को देखकर चोर-चोर चिल्लाने लगे, तो महर्षि की तपस्या का ध्यान भंग हो गया। जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं, तो उनके सभी पुत्र उनकी ज्वाला से समाप्त हो गए थे। उनके उद्धार के लिए, महाराज दिलीप के पुत्र भगीरथ ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और अपने पूर्वजों के उद्धार का उपाय प्राप्त किया। ब्रह्मा जी ने उन्हें शिव जी की तपस्या करने का सुझाव दिया, क्योंकि गंगा का वेग अत्यंत तीव्र था और केवल शिव जी ही उसे अपनी जटाओं में धारण कर सकते थे, जिससे गंगा धरती पर अवतरित हो सकती थी। भगीरथ ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की, और शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हुईं। धरती को उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

गंगा दशहरा का महत्व/ व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, जिस दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, उस दिन 10 शुभ योग बने थे, जिनके कारण मनुष्य के 10 पापों का नाश होता है। इस दिन को दशहरा कहा जाता है। जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी या गंगा दशहरा मनाया जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन व्यक्ति को किसी पवित्र नदी में स्नान, ध्यान और दान करना चाहिए। इससे उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यदि कोई व्यक्ति पवित्र नदी तक नहीं पहुंच पाता है, तो उसे अपने घर के पास की नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन दान और स्नान का भी अत्यधिक महत्व है। जीवनदायिनी मां गंगा की आस्था से जुड़े पर्व का भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

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