सावन मास का आध्यात्मिक महत्व | Sawan Mash Ka Mahatva | importance of Sawan Month in Hinduism

नमामि शमीशान निर्वाण, रूपम, विभूम, व्यापकम, ब्रह्मा, वेद, स्वरूपम, निजाम निर्गुण, निर्विकल्पम

मेरी हम जुदा काश मां का आशीर्वाद समझे। हम भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म में शिवजी की आराधना देवों के देव महादेव पर ब्रह्म के रूप में की जाती है। भोलेनाथ के स्मरण मात्र से भक्तों पर उनकी कृपा निधि का आविर्भाव होने लगता है। भगवान शिव शंकर को सावन माह अत्यंत प्रिय है और इसी कारण से सावन माह को भारतीय जनमानस में श्रद्धा एवं आनंदमय माना जाता है। सावन माह में प्रकृति अद्भुत सौंदर्य की प्रतिमूर्ति के रूप में भारत भूमि पर अपनी छटा बिखेर दी है। मस्तक पर अर्ध चंद्रमा जटाओं में मां गंगा एवं गले में वस्तु की नाक धारण किए हुए महान। वीर का श्रृंगार समिति ने किया है। जिस कारण से 54 माह में शिवजी की आराधना तथा अभिषेक करने से भक्तों को महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने सावन माह में भगवान शिव को पति परमेश्वर के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी और तपस्या सफल होने पर उनसे विवाह किया था। यही कारण है कि शिवजी को सावन में अत्यधिक प्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक अन्य मान्यता यह भी है कि सावन माह में ही भोलेनाथ ने समुद्र मंथन से निकले। हलाहल विष को अपने कंठ में समाहित कर के संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। विषपान के कारण उनका कंठ नीलवर्ण हो गया और उन्हें नीलकंठ।संध्या की प्राप्ति हुई। इसके प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। जिस कारण से सावन में शिवलिंग पर जल अर्पित करने का अत्यधिक महत्व है। हिंदू पंचांग का पांचवा माह सावन जिसे श्रवण भी कहते हैं। भक्तों की असीम भक्ति, भावना तथा निश्चल प्रेम संयुक्त होता है। इस माह में अत्यधिक वर्षा होने के कारण इसे वर्षा ऋतु का माह अथवा पावस ऋतु भी कहा जाता है। इस पवित्र माह में हरियाली तीज, रक्षाबंधन, नाग, पंचमी आदि अनेक महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं तथा मंदिरों और घरों में भव्य रुद्राभिषेक किया जाता है। विशेष रूप से सावन के सोमवार को भगवान शिव की संपूर्ण विधि विधान के साथ पूजा कर भक्त व्रत भी रखते हैं।भोलेनाथ की भक्ति में रमे भक्त इसी माह में कांवड़ यात्रा करते हैं और हरिद्वार, ऋषिकेश, नीलकंठ आदि दर्शनीय धार्मिक स्थलों पर जाकर भगवान शिव शंकर की स्तुति में लीन हो जाते हैं। कांवड़ यात्रा कई-कई दिनों तक चलती है जिसमें कावड़िए बांस की लकड़ी की टोकरी से बनी कावड़ कंधे पर रखकर और उसमें दंगा चल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने जाते हैं। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 4 जुलाई से आरंभ होने वाला साबुन 2 माह का होगा जो भक्तों के लिए अत्यधिक हर्ष एवं उल्लास का विषय है। महादेव के भक्तों को इस पावन उनकी उपासना के लिए चार नहीं अपितु आज सोमवार की प्राप्ति होगी। शिव पुराण के अनुसार महादेव स्वयं जल है। अतः सावन माह में उनका जलाभिषेक करना अत्यंत फलदाई माना जाता है और भक्त अपने। प्रिय भोलेनाथ की सच्चे मन से आराधना करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भोलेनाथ की कृपा से हम सभी अनवरत संचित होते रहें। इसी कामना के साथ Bharat Mata परिवार की ओर से आप सभी को सावन के इस पवित्र माह की हार्दिक शुभकामनाएं।

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