अयोध्या धाम : मोक्षदायिनी क्यों माना जाता है? | Ayodhya History and Facts in Hindi
पुराणों के अनुसार अयोध्या को श्री राम के पूर्वज मनु व इक्ष्वाकु ने स्थापित किया था। इन्हीं के 64 वें वंशज श्री राम के बाद उजड़ी हुई अयोध्या को कुश ने फिर से बसाया। लेकिन अयोध्या कितनी बार बसी कितनी बार उजड़ी। इसका कोई भी उल्लेख न तो पुराणों में मिलता है और न ही इतिहास में कुछ विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 वर्ष पहले अयोध्या के प्राचीन नगर की खोज करने के लिए सरयू नदी के किनारे कई प्राचीन शिव मंदिरों की प्रमाणिकता को लेकर गहन अध्ययन किया। और आखिरकार एक विशेष रहस्यमय मंदिर ने ये सिद्ध किया कि यही है हजारों वर्षों से वीरान और उजाड़ पड़ी अयोध्या। ऐसे ही कई रहस्यमय स्थानों के इतिहास को जानने के लिए इस वीडियो को पूरा अवश्य देखें।
पवित्र सरयू नदी के तट पर.. प्रकृति की अद्भुत सुन्दरता तथा पक्षियों के कलरव की मधुर ध्वनि के साथ.. जहां प्रभु श्री राम की अलौकिक जीवनगाथा का अद्वितीय मेल है.. वो दिव्य स्थान है.. अयोध्या।
सनातन धर्म के सर्वप्रिय अवतार.. भारतीय संस्कृति के अनुपम गौरव.. भारतीय जनमानस की हृदयस्थली में विराजमान सर्वमान्य देवता.. मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम की जन्मस्थली तथा भारत के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक.. अयोध्या.. न केवल भारत में.. अपितु सम्पूर्ण विश्व में.. अपने धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्त्व तथा प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए लोकप्रिय.. नगरी है। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के निकट स्थित इस नगर को.. प्राचीन काल में कोसल देश.. कोसल जनपद तथा साकेत की संज्ञा भी प्राप्त थी।
अति प्राचीन धार्मिक नगर.. अयोध्या का उल्लेख आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण सहित.. अनेक ग्रंथों.. किंवदंतियों तथा कथाओं में प्राप्त होता है। विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ.. वेद के अनुसार.. अयोध्या.. ईश्वर का नगर है तथा इसकी सम्पन्नता की तुलना स्वर्ग से की गयी है।
अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या।
तस्यां हिरण्मयः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः॥
अथर्ववेद में यौगिक प्रतीक के रूप में वर्णित अयोध्या.. देवताओं द्वारा निर्मित.. स्वर्ग के समान समृद्धशाली नगर है। स्कंदपुराण के अनुसार.. अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा.. 'य' कार विष्णु तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है।
जिस प्रकार काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर सुशोभित है.. उसी प्रकार अयोध्या भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर विराजमान है।
अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥
अर्थात अयोध्या.. मथुरा.. हरिद्वार.. वाराणसी.. कांचीपुरम.. उज्जैन तथा द्वारका.. भारत के सप्तपुरियों के रूप में प्रतिष्ठापित नगर.. मोक्षदायी हैं।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार.. मान्यता है कि सरयू नदी के तट पर स्थित.. इस धर्म नगरी की स्थापना.. सूर्य पुत्र महाराज वैवस्त मनु के द्वारा की गयी थी।
पौराणिक मान्यता है कि मनु ने ब्रह्रााजी से अपने लिए एक नगर के निर्माण की प्राथना की.. तब ब्रह्रााजी जी ने उन्हें भगवान विष्णु से प्रार्थना करने को कहा। भगवान विष्णु ने मनु के लिए साकेतधाम का चयन किया। साकेतधाम के चयन के पश्चात.. ब्रह्रााजी और मनु के साथ.. विष्णुजी ने.. देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा को महर्षि वशिष्ठ के साथ.. साकेतधाम जाने का आग्रह किया। वशिष्ठ मुनि ने सरयू नदी के तट पर.. लीला भूमि का चयन किया.. भूमि चयन के पश्चात.. देवशिल्पी नगर के निर्माण की प्रकिया आरंभ हुई तथा इस प्रकार.. देवनिर्मित दिव्य नगर.. अयोध्या की स्थापना हुई।
अनेक शताब्दियों से सूर्यवंश के अनेक प्रतापी तथा पराक्रमी शासकों की राजधानी रही अयोध्या को.. रघुकुल शिरोमणि.. भगवान श्री राम की जन्मभूमि होने के कारण.. हिन्दुओं के तीर्थस्थान होने का गौरव प्राप्त है।
गंगा बड़ी गोदावरी..
तीरथ बड़ो प्रयाग..
सबसे बड़ी अयोध्यानगरी..
जहँ राम लियो अवतार।
श्री रामचंद्र की जन्मभूमि अयोध्या.. श्री राम के ही समान उदारता तथा प्रेमभाव से युक्त.. सर्वधर्म नगरी है.. जहाँ हिन्दू.. मुस्लिम.. बौद्ध तथा जैन धर्म मानवता तथा सद्भावना की छाया में पोषित होते हैं। जैन मत के अनुसार अयोध्या.. वो पवित्र स्थान है.. जहाँ आदिनाथ सहित पाँच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। बौद्ध परंपरा में भी अयोध्या का स्थान महत्वपूर्ण है। बौद्ध ग्रंथों से ज्ञात होता है कि भगवान बुद्ध जिस शाक्य कुल के थे.. उसकी दो राजधानी थीं - कपिलवस्तु तथा साकेत जिसका समीकरण अयोध्या से स्थापित किया जाता है। अयोध्या में स्थित.. गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब.. सिख श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
कालखंड के पृष्ठों पर यद्यपि अयोध्या अनेकों धार्मिक-राजनीतिक झंझावातों तथा विदेशी मुग़ल आक्रान्ताओं के आतंक की साक्षी रही है.. किन्तु यहाँ की राममयी आभा सदैव ही अक्षुण रही है। 1527 में बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने राम जन्मभूमि की पवित्रता पर क्रूरता तथा नृशंस आतंक के द्वारा बाबरी मस्जिद का निर्माण तो कराया.. किन्तु प्रमाणों तथा साक्ष्यों के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने राम-मंदिर के पुनर्निर्माण की स्वीकृति प्रदान की.. इस प्रकार वर्तमान में अयोध्या की पावन भूमि पर प्रभु श्री राम के निर्माणाधीन विराट एवं भव्य मंदिर से मानवता ने सत्य एवं सौहाद्र पर पुनः विश्वास अर्जित कर लिया है।
यही कारण है कि वैमनस्यता की इमारत.. अयोध्या की सद्भावना की मूर्ती से.. प्रेरित होकर.. प्रेम की अनुभूति में परिवर्तित हो चुकी है।
प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के अतिरिक्त.. भक्ति की नगरी.. अयोध्या में राम की पैड़ी.. हनुमानगढ़ी.. बिरला मंदिर.. कनक भवन.. जैन मंदिर आदि प्रसिद्ध स्थल हैं.. जो धार्मिक आस्था के साथ ही साथ.. अपनी सुन्दरता के लिए भी लोकप्रिय हैं। यहाँ मनायी जाने वाली रामनवमी तथा दीपावली के अवसर पर मनाई जाने वाली.. देव-दीपावली.. भारत ही नहीं.. विश्व के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
पुण्यनगरी अयोध्या.. वो नगरी है.. जहाँ धर्म.. भक्ति की पराकाष्ठा प्राप्त कर लेता है.. अयोध्या – अर्थात जहाँ कोई युद्ध नहीं। वास्तव में अयोध्या.. भक्ति.. प्रेम.. सद्भावना की वो नगरी है.. जो राम की महिमा से युक्त.. रामराज्य की आदर्श है।
भारत समन्वय परिवार की ओर से.. रामराज्य के अद्वितीय तीर्थ.. अयोध्या को बारम्बार प्रणाम। हमारा सतत प्रयास है कि भारत के हिमालय रुपी इतिहास से बहने वाली अविरल गंगा रुपी संस्कृति से भारतीय जनमानस को सिंचित किया जा सके।
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