श्री बंगला साहिब गुरुद्वारा | Gurudwara Bangla Sahab Ji | New Delhi
संस्कृति.. सभ्यता.. कला एवं वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का जीवंत उदाहरण भारत.. वो देश है जहाँ हर धर्म और हर आस्था का अद्भुत समन्वय है | इसी अप्रतिम प्रेम और बंधुत्व की भावना का प्रतीक है.. नयी दिल्ली के कनॉट प्लेस क्षेत्र में स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा |
गुरुद्वारा बंगला साहिब सिखों का एक बहुत ही प्रमुख धार्मिक स्थल है जहाँ हज़ारों लोग दर्शन करने आते हैं। मूल रूप से बंगला साहिब गुरुद्वारा.. 17वीं शताब्दी में एक हिन्दू शासक राजा जयसिंह की बंगला हवेली हुआ करती थी.. जिसे उस समय जयसिंहपुर महल के नाम से जाना जाता था |
बंगला साहिब गुरूद्वारे की स्थापना की एक रोचक कथा है | राजा जयसिंह मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के महत्वपूर्ण सैन्य नेता थे | उसी समयकाल में गुरु हरकिशन साहिब जी को सिखों के आठवें गुरु के रूप में प्रतिष्ठापित किया गया | अल्पायु में ही हरकिशन साहिब जी को सिखों का गुरुपद प्रदान किया गया.. जिस कारण हरकिशन साहिब जी को बाल गुरु कहा जाने लगा |
औरंगज़ेब को जब हरकिशन साहिब की लोकप्रियता का पता चला तो उसके मन में जिज्ञासा उठी कि हरकिशन साहिब जी में ऐसी क्या विशेषता है जो इन्हें इतनी कम आयु में गुरुपद के उपयुक्त समझा गया ! औरंगज़ेब द्वारा दिल्ली बुलाये जाने पर हरकिशन साहिब जी दिल्ली पहुंचे और अपना दिल्ली प्रवास का समय जयसिंहपुर महल में व्यतीत किया | उस समय दिल्ली में हैजा और चेचक जैसे रोगों का प्रकोप था | गुरु हरकिशन साहिब महामारी से त्रस्त रोगियों का उपचार करने लगे जिस कारण उन्हें बाला पीर की उपाधि से विभूषित किया गया | गुरु हरकिशन साहिब ने इसी आवास के कुएं के जल से पीड़ितों की सेवा की और आज गुरूद्वारे में स्थित इसी कुएं को स्वास्थ्यवर्धक और पवित्र जल के चमत्कारी सरोवर के रूप में मान्यता प्राप्त है | दूसरों के दुख दूर करते-करते एक दिन वो स्वयं इस महामारी से ग्रसित हो गए और आठ साल की आयु में ही उनका निधन हो गया। प्राणिमात्र की सेवा करते हुए अपने प्राणों का त्याग करने वाले गुरु हरकिशन साहिब जी की स्मृति में बंगला साहिब गुरूद्वारे का निर्माण किया गया |
गुरुद्वारा बंगला साहिब की सरंचना अत्यंत भव्य है जिसमें राजपूत एवं मुग़लकालीन कला और शैली दृष्टिगोचर है | श्वेत संगमरमर से निर्मित इस गुरूद्वारे का केन्द्रीय गुम्बद सूर्य के प्रकाश में चमकता है और साथ ही यहाँ एक लम्बा पुल है जहाँ सिख धर्म का प्रतीक बना हुआ सिख ध्वज.. जिसे साहिब के रूप में जाना जाता है.. लहराता रहता है | गुरूद्वारे में स्थित चमत्कारी सरोवर श्रद्धालुओं की आस्था का स्थल है और हर वर्ष यहाँ गुरु हरकिशन साहिब जी की जयंती पर विशेष मण्डली द्वारा भव्य आयोजन होता है और प्रकाश पर्व मनाया जाता है |
नयी दिल्ली में राजीव चौक और मेट्रो स्टेशन के निकट स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा में भक्तों का तांता लगा रहता है | अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के समान ही बंगला साहिब गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं को अद्भुत एवं अलौकिक शांति का अनुभव होता है |
बंगला साहिब गुरुद्वारा वर्ष के हर दिन चौबीसों घंटे के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है.. जहाँ सभी धर्मों के लोग आकर मन की शांति और निरोगी जीवन की कामना करते हैं |
गुरु हरकिशन साहिब जी सिक्खों के आठवें गुरु थे और ये गुरुद्वारा उनकी याद में बनाया गया है। बंगला साहिब, दिल्ली का इकलौता ऐसा धार्मिक स्थल है जहां आम दिनों में हजारों लोग मत्था टेकने आते हैं और वीकेंड पर तादाद लाखों में पहुंच जाती है। यहां की एक बात और सबसे खास है, बगंला साहिब गुरुद्वारे में 24 घंटे लंगर चलता है।
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