नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मिल जाती हैं नाग दोष से मुक्ति, जानिए पौराणिक कथा | Bharat Mata

देवों के देव महादेव को नागेश्वर के नाम से पिचाना चाहता है भगवान शिवाजी पृथ्वी पर 12 शिवलिंग में ज्योति के रूप में समाहित हुए थे इसलिए शिवा पुराण में कल 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन मिलता है ऐसी मान्यता है की जो भी इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेट है उसे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से 10वां ज्योतिर्लिंग नागेश्वर है यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारकापुरी से 17 किलोमीटर दूर स्थित है

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिवा को नागो के देवता के रूप में जाना जाता है नागेश्वर का संपूर्ण अर्थ नागो का ईश्वर है धार्मिक पुराने के अनुसार माना जाता है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है अनुसूची है की सुप्रिया नमक एक धार्मिक कथा सदाचारी व्यापारी था वो शिवा जी का अनन्या वैश्य भक्ति था तथा शिवा जी की आराधना में सदैव ली पाया जाता था मां कम और वचन सबसे वह शिवाजी की पूजा में हिरत राहत था एक दिन जब वह नौका पर स्वर होकर समुद्र के जलमार्ग से कहानी जा रहा था उसे समय तारों का नमक एक भयंकर बलशाली राक्षस ने उसे पर आक्रमण कर दिया रक्षक से दारू ने सभी लोगों सहित सुप्रिया का अपहरण कर लिया और अपनी पुरी में ले जाकर उसे बंदी बना लिया सदैव शिवाजी की भक्ति में ली रहने वाला सुप्रिया कारागार में भी उनकी आराधना करता रहा और उसने अपने अन्य साथियों को भी भोलेनाथ की आराधना के प्रति जागरूक कर दिया सभी शिवा भक्ति बन गए और कारागार में शिवा का नाम ही गुंजा इनाम होने लगा जब इसकी सूचना रक्षक दारू को प्राप्त हुई तो वो अत्यंत क्रोधित होकर कारागार में पहुंच उसने देखा की कारागार में सुप्रिया ध्यान लगाएं बैठा है और इसी करण उसने क्रोधित होकर चिल्लाकर कहा अरे तू आंखें बैंड करके मेरे विरुद्ध कौन सा षड्यंत्र रैक रहा है जोर से चिल्लाता हुआ सुप्रिया को चेतावनी दे रहा था

किंतु शिवा भक्ति सुप्रिया पर उसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा घमंडी रक्षा दारू ने अपने सेवकों को सुप्रिया की मृत्यु का आदेश दिया अपनी हत्या के भाई से भी सुप्रिया भयभीत नहीं हुआ और वो भोलेनाथ को याद करने में ही लगा रहा उसे समय अपने भक्ति की भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिवा ने सुप्रिया को कारागार में ही दर्शन दिया शिवाजी इस क्षण कारागार में एक ऊंचे स्थान पर चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए शिवा जी ने अपने परम भक्ति को दर्शन देकर अपना पाशुपतास्त्र भी प्रधान किया जिससे सुप्रिया ने दारू की तथा अन्य राक्षसों का वध कर दिया और अंत में वो स्वयं शिवलोक को प्राप्त हुआ भगवान शिवा के निर्देशानुसार ही उसे शिवलिंग का नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पड़ा ऐसी मान्यता है की नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद जो मनुष्य उसकी उत्पत्ति और महिमा संबंधी कथा को सुनता है वो समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और संपूर्ण भौतिक एवं आध्यात्मिक सुखों को प्राप्त करता है

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व

भगवान शिवा जी के इसे दसवें ज्योतिर्लिंग का निर्माण कार्य अत्यंत अद्भुत तथा सौंदर्य करण विधि से पूरा हुआ है नागेश्वर मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह के निकले स्टार पर भगवान शिवा जी के इस ज्योतिर्लिंग दोस्त स्थापित किया गया है इसे ज्योतिर्लिंग के ऊपर एक चांदी का बड़ा नाग स्थापित किया गया है इतना ही नहीं इस अद्भुत ज्योतिर्लिंग के पीछे ही माता पार्वती की प्रतिमा की स्थापना भी की गई है यह मंदिर अत्यंत अद्भुत सौंदर्य पूर्वक रूप से निर्मित किया गया है ऐसा माना जाता है की इस मंदिर में दर्शन करने मंत्र से ही सभी प्रकार के रोगन से मुक्ति पी जा शक्ति है ज्योतिर्लिंग मानव द्वारा निर्मित नहीं हुए थे एबिटो कल्याण और उसे गतिमान बनाए रखना के लिए स्थापित हुए हैं देवों के देव महादेव के दिव्यता से प्रकाशमान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को भारत समन्वय परिवार की और से कोटी कोटी नमन हमारा सतत प्रयास है की आप सभी को भारतीय संस्कृति की अविरल धारा से निरंतर संचित किया जा सके और हम इसमें पुरी तरह से संलग्न है भारतीय इतिहास कल और दर्शन से संबंधित और जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल Bharat Mata को अभी सब्सक्राइब करें। 

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