छत्रपति शाहू जी महाराज: मराठा इतिहास के महान शासक | Maratha Empire Story | Chatrapati Sahuji Maharaj
इतिहास के विराट आकाश में कुछ नक्षत्र ऐसे होते हैं, जिनकी चमक युगों-युगों तक समाज को दिशा देती है। छत्रपति शाहू महाराज, मराठा साम्राज्य के वह महानायक, जिनकी जीवनगाथा संघर्ष, साहस, दूरदर्शिता और क्षमा का अनुपम संगम है।
मराठा विरासत का गौरव
वे छत्रपति संभाजी महाराज के पुत्र और छत्रपति शिवाजी महाराज के पौत्र थे—उनकी रगों में मराठा स्वाभिमान, स्वतंत्रता और न्याय की ज्वाला प्रवाहित थी। उनका जन्म 18 मई 1682 को हुआ। दुर्भाग्यवश, उनका बचपन सुखद नहीं रहा। जब वे मात्र दो वर्ष के थे, तभी उनके पिता संभाजी महाराज को औरंगज़ेब ने बंदी बनाकर क्रूरतापूर्वक मृत्यु दंड दिया। शाहू महाराज अपनी माता येसूबाई के साथ मुगलों के बंदीगृह में पहुँचे। बाल्यकाल का अधिकांश भाग उन्होंने कैद के अंधकार में बिताया, किंतु यह अंधकार उनके भीतर वीरता और धैर्य की लौ को बुझा नहीं सका। बंदीगृह की कठोरता ने उनके व्यक्तित्व को निखार दिया, और उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी मराठा अस्मिता को जीवित रखा।
1707 में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद, मुगलों ने मराठों में फूट डालने के उद्देश्य से शाहू महाराज को रिहा कर दिया। मुगलों की यह कूटनीति थी कि मराठा शक्ति आपसी संघर्ष में उलझ जाए। उस समय सतारा की गद्दी पर ताराबाई (राजाराम महाराज की पत्नी) अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय के नाम पर शासन कर रही थीं। शाहू महाराज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती थी—अपने अधिकार की पुनः स्थापना। उन्होंने अदम्य साहस और रणनीति का परिचय देते हुए 1707 में कोरेगांव की निर्णायक लड़ाई में ताराबाई की सेना को परास्त किया। अंततः मराठा साम्राज्य दो भागों में बँट गया—सतारा पर शाहू महाराज और कोल्हापुर पर ताराबाई के वंशजों का शासन स्थापित हुआ। Bharatmata.ऑनलाइन | महान और लोकप्रिय शासक | YouTube पर देखें
मराठा साम्राज्य का पुनरुत्थान
शाहू महाराज का शासनकाल मराठा साम्राज्य के पुनरुत्थान का काल माना जाता है। उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया और मराठा शक्ति को संगठित करने में अद्वितीय भूमिका निभाई। उन्होंने पेशवा पद की नींव रखी और बालाजी विश्वनाथ को अपना पेशवा नियुक्त किया, जो आगे चलकर मराठा साम्राज्य के विस्तार में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले थे। शाहू महाराज की दूरदर्शिता का ही परिणाम था कि पेशवा बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में मराठा सेना ने नर्मदा से गंगा-यमुना तक विजय पताका फहराई। शाहू महाराज ने प्रशासन में योग्यता, निष्ठा और पारदर्शिता को सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने मराठा साम्राज्य में कर व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया, छत्रपति शिवाजी महाराज की परंपराओं का पालन करते हुए किसानों और आम जनता के हितों की रक्षा की। वे न्यायप्रिय और दयालु शासक थे। उनके दरबार में सभी वर्गों के लोगों को सम्मान मिलता था। उन्होंने अपने शासन में धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया। शाहू महाराज ने मराठा समाज में व्याप्त आंतरिक मतभेदों को दूर कर एकता की भावना को प्रबल किया। वे क्षमा, संयम और धैर्य के प्रतीक थे। उन्होंने अपने विरोधियों के प्रति भी उदारता दिखाई, जिससे उनका व्यक्तित्व और भी महान बन गया। Bharatmata.ऑनलाइन | महान और लोकप्रिय शासक | YouTube पर देखें
व्यक्तिगत जीवन और उत्तराधिकार
शाहू महाराज का व्यक्तिगत जीवन भी प्रेरणादायक था। बाल्यकाल की कठिनाइयों ने उनके भीतर अद्भुत सहनशक्ति और दूरदर्शिता का संचार किया। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी सत्ता को केवल व्यक्तिगत लाभ का साधन नहीं बनाया, बल्कि उसे समाज की सेवा और मराठा गौरव की पुनर्स्थापना का माध्यम बनाया। उनका विवाह सखूबाई से हुआ था, किन्तु संतान नहीं थी।
उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में रामराजा को गोद लिया, जिससे सतारा की गद्दी की परंपरा बनी रही। शाहू महाराज के शासनकाल में मराठा साम्राज्य ने न केवल सैन्य दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी उन्नति की। उन्होंने मराठा संस्कृति, भाषा और परंपराओं को संरक्षित किया। उनकी दूरदर्शिता, सहिष्णुता और नेतृत्व क्षमता ने मराठा साम्राज्य को भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी शक्तियों में एक बना दिया। Bharatmata.ऑनलाइन | महान और लोकप्रिय शासक | YouTube पर देखें
1749 में शाहू महाराज ने इस नश्वर संसार से विदा ली, लेकिन उनके द्वारा स्थापित आदर्श, संगठन शक्ति और मराठा अस्मिता की ज्योति आज भी अमिट है। उन्होंने दिखाया कि विपरीत परिस्थितियाँ भी यदि दृढ़ संकल्प और सही नेतृत्व के साथ सामना की जाएँ तो वे विजय के सोपान बन सकती हैं। उनका जीवन संदेश देता है कि सच्चा शासक वही है, जो अपने कर्तव्यों को धर्म, न्याय और करुणा के साथ निभाए। छत्रपति शाहू महाराज का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है—एक ऐसे शासक के रूप में, जिसने अपने पूर्वजों की विरासत को न केवल बचाया, बल्कि उसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनका जीवन आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो संघर्ष, धैर्य, क्षमा और नेतृत्व के अद्वितीय गुणों को आत्मसात करना चाहता है।
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