मदर टेरेसा | Mother Teresa | Story of Saint Mother Teresa | Saint Teresa of Calcutta | Bharat Mata

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कॉर्पियो मेसिडोनिया में हुआ। उनके पिता निकोलाओयू एक साधारण व्यवसाई मदर टेरेसा का वास्तविक नाम एड्रेस गोलछा जी सुथार अल्बेनियन भाषा में गोचर का अर्थ फूल की कली होता है। जब वह मात्र 8 साल की थी तभी उनके पिता और लोग सिखाते हैं जिसके बाद उसके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी उनकी माता गाना बोया यू के ऊपर आ गई। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। पढ़ाई के साथ-साथ गाना उन्हें बेहद पसंद था। वह और उनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिका थी। ऐसा माना जाता है कि जब वह 512 साल की थी तभी उन्हें अनुभव हो गया था कि वह अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगाएंगे और 18 साल की उम्र होने से स्टेटस ऑफ लोरेटो में शामिल होने का फैसला ले। 1970 तक के गरीबों और असहाय ओं के लिए अन्य मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्ध हो गई। इसके क्षेत्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फोटोस उनका उल्लेख किया। क्या 1971 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरेसा के जीवन काल में बिश्नोई ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार उपस्थित होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक 123 देशों में 610 विशन नियंत्रित इसमें एचआईवी ऐड्स पोस्ट और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं और घर जाते थे और साथ ही बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम अनाथालय और विद्यालय की 1928 में केवल 18 साल की उम्र में उन्होंने लोरेटो बहनों के साथ रहने के लिए घर छोड़ दिया था तो वहीं मदर ड्रेस।ईसाई धर्म प्रचारक पढ़ने की राह में चल पड़े। उसमें मदर टेरेसा भारत आए और दार्जिलिंग हिमालय की पहाड़ियों के पास स्कूल बंगाली सी तिथि और वहां बच्चों को पढ़ाती थी। 24 मई 1925 को है। पहली बार सन्यासिनी की पद्य मिली थी और इसके बाद उन्होंने अपना मूल नाम बदल के साथ खड़ा। रोमन कैथोलिक समय का जूता भी बताया जहां उन्होंने कई समाजसेवी संस्थाओं की स्थापना की थी। 1979 में ही टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तभी से वह काफी लोग परिवार के पुल पर भगवान ने बहुत भरोसा था। उनके पास बहुत पैसा या संपत्ति नहीं थी लेकिन उनके पास एकाग्रता।विश्वास भरोसा और ऊर्जा जो खुशी से उन्हें गरीब लोगों की मदद करने में सहायता करती थी। निर्धनों की देखभाल के लिए सड़कों पर लंबी दूरी वह चलकर तय करती थी। भारत आकर गुरुदेव दीन, दुखियों और सामाजिक तिरस्कार से जूझते हुए लोगों को एक मां का सच्चा प्यार किया और ही अपाहिज और गरीब बच्चों के लिए बटेश्वर का प्रतिरूप अनेक जिनको टू के शरीर से मवाद रिश्ता था, गांव पर मक्खियां बनाती थी जो निवृत्ति व्यक्तियों की अभिलाषा में जीवित गिरी सम्मानित किया। उनके समीप से गुजर ना कोई आम आदमी के लिए तो उसका था परंतु मदर टेरेसा साधारण संसारी नहीं थी बल्कि उनकी सेवा सुश्रुषा। मदर टेरेसा का एक ही धर्म का मानव सेवा सर्वधर्म समभाव की भावना को रेट 3 हित में समाहित रखती थी। उनकी सेवा उद्देश्य वाले जीवन में सैकड़ों बाधाएं उत्पन्न होने डेट करने के बाद हम का मुकाबला किया किया। उनकी मान्यता है कि प्यार की भूख रोटी की बुक है। कहीं बड़ी है कि उनके मिशन से प्रेरणा लेकर संसार के विभिन्न विभागों से स्वयंसेवक भारत आए। तन मन धन से गरीबों की सेवा में लगे शकूर की सेवाओं के लिए विविध पुरस्कार एवं सम्मान से विभूषित किया गया है। पुलिस ने उन्हें पोते का शांति पुरस्कार और टेंपलटन फाउंडेशन पुरस्कार प्रदान किया गया। विश्व भारती विद्यालय ने उन्हें देसी कोत्तम पदवी दी जो कि उनकी ओर से दी जाने वाली सर्वर। ऐसे ही और वीडियोस प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल Bharat Mata को सब्सक्राइब करें।

See More: Bharat Mata