देश की बहादुर बेटी ‘नीरजा भनोट की कहानी | Story of Neerja Bhanot | Bharat Mata
नीरजा भनोट एक ऐसी नारी, जिसकी मौत पर भारत के साथ पाकिस्तान ने भी आंसू बहाए थे। नीरजा भनोट विमान पहने उड़ान 73 की परेशानी का थी। लगभग 28 वर्ष पहले 5 सितंबर 1986 को आतंकियों ने भारत से न्यूयॉर्क जाते हुए इस विमान का पाकिस्तान से अपहरण कर लिया, जिसमें लगभग 380 यात्री सवार थे, जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे। उन्हीं यात्रियों की जान बचाने के लिए नीरजा ने विमान का दरवाजा खोला और तथ्यों को बाहर निकाला, लेकिन जब एक बच्चे को बाहर भेज रही थी तभी एक आतंकी ने नहीं जाकर सीने पर गोली चला दी और उस जांबाज नीरजा ने अपनी जान दे दी। इसी वीरता के लिए मरणोपरांत नीरजा को भारत के सबसे बड़े पराक्रमी पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। निर्जा सबसे कम उम्र में इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली महिला थी। भारत के अलावा निर्जा कौन के बहादुरी के। पाकिस्तान एवं अमेरिका ने भी सम्मान दिया। मिर्जा मुंबई के रहने वाली थी। इनके पिता हिंदुस्तान टाइम्स में पत्रकार के तौर पर कार्यरत थे। मिर्जा का जन्म स्थान चंडीगढ़ था। वर्ष 1985 में निशा की शादी हुई लेकिन शादी से नीरजा का जीवन सुखी नहीं था। दहेज प्रताड़ना के कारण नहीं जाने दो महीने के बाद ही अपनी शादी को तोड़ दिया और अपने माता-पिता के पास वापस लौट आई। जिसके बाद मिर्जा ने स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए टाइम में फ्लाइट अटेंडेंट जॉब के लिए अप्लाई किया और एक फ्लाइट पर बनी आइए जानते हैं। विमान अपहरण की घटना का विस्तार विमान प्रणब उड़ान 735 सितंबर, 1986 में जन्म दिवस से 2 दिन पूर्व भारत से न्यूयॉर्क जा रहा था। उस विमान में 380 यात्री एवं स्टाफ था, जिसमें अमेरिका के 3 सदस्य पायलट, पायलट, फ्लाइट, इंजीनियर एवं भारत की नीरजा भनोट और उनकी टीम थी विभाग।कराची एयरपोर्ट पर था और पायलट का इंतजार कर रहा था। तभी चार आतंकी जो कि अब उन्हें दाल संगठन से थे ने विमान को अपने कब्जे में ले लिया और पाकिस्तानी सरकार को पायलट से निकाल दिया जिसे उन्होंने नहीं माना क्योंकि अगर वह ऐसा करते तो आतंकी विमान को अपने हिसाब से कहीं और ले जाते हो। श्रीमान में कई अमेरिकी यात्री भी थे और आतंकी इन्हीं अमेरिकी यात्रियों के सहारे पाकिस्तान पर अमेरिकी दबाव बनाकर अपनी मांगे पूरी करवाना चाहते थे। इसके लिए आतंकियों ने नीचे और उसकी टीम को यात्रियों के पासपोर्ट घटा करने के लिए कहा कि वे अमेरिकी यात्रियों को पहचान सकें, लेकिन न्यूज़ और उसकी टीम ने लगभग 40 यात्रियों के पासपोर्ट छिपा दिया कि आतंकियों ने पहचान ना सके। शातिर ने यात्रियों को बचाने के लिए आपातकालीन दरवाजा खोल दिया और कई यात्रियों को वहां से बाहर भेज दिया। इसी समय एक आतंकी के नगर नीरजा पर पड़ी जब नीरजा।इन बच्चों को बाहर भेज रही थी तभी आतंकी ने उन पर गोली चलाई जिसे देख नीरजा बच्चों के आगे आ गया और उसने सभी गोलियां अपने सीने पर खेली और शहीद हो गई। नीरजा चाहती तो सबसे पहले खुद उस आपातकालीन दरवाजे से बाहर जा सकती थी, लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को सर्वोपरि रखा और अपनी समझदारी और हौसले से 17 घंटों तक उन आतंकियों से लोहा लिया और कई लोगों की जान बचाई।
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