उठो जागो और लक्ष्य प्राप्त होने तक रुको मत | Swami Satyamitranand Maharaj | Pravachan

भारत माता चैनल प्रस्तुत करता है स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज की वाणी से प्रस्फुटित "कुम्भ की स्मृतियाँ"। इस प्रस्तुति में पूजनीय स्वामी जी ने समस्त मानव जाति को प्रेरणा प्रदान की है, और यह आशीर्वाद हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू में एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न करने का कार्य करता है। स्वामी जी के शब्दों में, गहरी सरलता और सच्चाई का समावेश है, जो हमें आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है। गुरु जी कहते हैं:

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति।

अर्थ: "हे मनुष्यों, उठो, जागो, और किसी ज्ञानी के पास जाकर ज्ञान प्राप्त करो। ज्ञानी व्यक्ति उस कठिन मार्ग को सरल बना देता है, जो धार की तरह तीव्र और घातक लगता है। यह मार्ग उन ज्ञानियों द्वारा बताया जाता है जो जीवन के सत्य को जानते हैं।

यह श्लोक जीवन के गहरे अर्थ को उद्घाटित करता है और मनुष्य को प्रेरित करता है कि वह अपनी आत्मा की यात्रा में मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए गुरु के पास जाए। स्वामी जी के अनुसार, भारत के जनजीवन में यह श्लोक न केवल एक धार्मिक या आध्यात्मिक सूत्र है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाली एक सशक्त विचारधारा है।

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