गीता ज्ञान यज्ञ श्री हरिहर मारूती धाम (2011) भाग- 6 | Geeta Gyan Yagya Sri Harihar Maruti Dhaam 2011

गीता ज्ञान यज्ञ श्री हरिहर मारूती धाम (2011) - भाग- 6

इस वीडियो में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज बताते हैं कि अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से पूछ रहे हैं कि हमसे पाप कौन करवाता है? यह सवाल हर इंसान के मन में है — हम पाप क्यों करते हैं, जबकि हमें करने की इच्छा नहीं होती? पाप करने के बाद कुछ लोग पछताते हैं, लेकिन फिर भी ऐसा क्यों होता है? वहीं कुछ अज्ञानी लोग अपने पापों का ठिकरा भगवान के सिर पर फोड़ते हैं, यह कहते हुए कि भगवान की मर्जी के बिना तो एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, तो जो मैंने पाप किए हैं वह भगवान की इच्छा के बिना नहीं हो सकते।

पाप के मूल को समझना - स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज की शिक्षाएँ

भगवान श्रीकृष्ण इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि जब आपके अंदर शत्रु भाव उत्पन्न होता है, तो आप सजग हो जाते हैं। शत्रु के आक्रमण की चिंता हमेशा बनी रहती है। अगर हम अपने अंदर की ओर देखें, तो हमें यह समझ में आएगा कि हमारे अंदर ही पाप का जन्म होता है। हर किसी की कोई न कोई इच्छा अधूरी रह जाती है, और इच्छाएँ पूरी न होने के कारण लोग कई तरह के पाप कर जाते हैं।

इच्छाओं का पाप में भूमिका

स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज का मुख्य संदेश यह है कि पाप हमारी अधूरी इच्छाओं से उत्पन्न होते हैं। जितना अधिक व्यक्ति इच्छाओं में फंसा रहता है, उतना अधिक वह पाप की ओर अग्रसर होता है। आत्म निरीक्षण और अपनी इच्छाओं के मूल को समझना पापों से बचने का उपाय हो सकता है।

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