Sukrat ने Sikandar से भारत की किन चार वस्तुओं को लाने के लिए कहा था ?
प्रस्तुत विडिओ मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज बताते हैं की जिस प्रकार एक माला के सभी मनके एक दूसरे से भिन्न होते हैं, उसी प्रकार इस संसार का हर प्राणी नाम, वेश, परिवेश, रूप की दृष्टि से एक दूसरे से अलग होते हैं, लेकिन सबके अंदर ईश्वर समाहित है।
सर्वं खल्विदं ब्रह्म, नेह नानास्ति किंचन ॥
अर्थात "यह समस्त विश्व ही ब्रह्म हैं, इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है॥"
स्वामी जी बताते हैं की जब सिकंदर दुनिया जीतने के लिए जा रहा था तब उसके गुरु सुकरात ने उससे भारत से चार वस्तुएं लाने का आग्रह किया था – वो चार वस्तुएं गंगाजल, बाँसुरी, श्री राम कथा और भागवत गीता थी।
स्वामी जी भक्ति और वेदान्त का लोकिक लाभ वर्णित करते हुए कहते हैं की यदि संसार मे ब्रह्म भाव का प्रसार हो जाए तो जितना धन सेना पर खर्च होता है वो समाज की सेवा मे लग जाएगा और तब वास्तव मे मानव प्रसन्न रहेगा।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज द्वारा संसार के प्रत्येक प्राणी की भिन्नता और समानता का वर्णन है।
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