गीता के माध्यम से जानिए भगवान का वस्त्रावतार कब हुआ ? | Swami Satyamitranand Giri Ji Mahraj

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज संसार मे आसक्ति के विषय मे बताते हुए स्वामी विवेकानंद के शब्दों मे वर्णित करते हैं की,

Boat may stay in the water, But water should not stay in the boat. An aspirant may stay in the world, But world should not stay in the heart of an aspirant.

अर्थात नाव को पानी मे रहना चाहिए, नाव मे पानी को नहीं, उसी तरह मनुष्य को संसार मे रहना चाहिए, मनुष्य के हृदय मे संसार नहीं।

ज्ञान विज्ञान योग - अध्याय सात

गीता के सप्तम अध्याय के प्रारंभ मे श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि,

मयासक्तमना: पार्थ योगम यूंज़न्नमदाश्रेय:

अर्थात अपने मन को मेरे साथ जोड़ दो, क्यूँ की जब कोई किसी के साथ जुड़ जाता है, तो उसके साथ उसका दायित्व भी बढ़ जाता है। अर्जुन तुम मुझमे आसक्त हो जाओ मै निश्चित रूप से तुम्हारी रक्षा करूंगा।

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