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कलयुग का आधार क्या है? Swami Satyamitranand Maharaj Ji | Bharat Mata

कलयुग का आधार क्या है? Swami Satyamitranand Maharaj Ji | Bharat Mata

कलयुग मे नाम जप को ही सर्वश्रेष्ठ यज्ञ बताया गया है।

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं, कि गोस्वामी तुलसीदास जी कलयुग का आधार वर्णित करते हुए कहते हैं की,

"कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहिं पारा "

अर्थात कलयुग में केवल भगवान के नाम का जाप ही मनुष्य को संसार के गहरे समुद्र से पार लगाने के लिए पर्याप्त है। ईश्वर का नाम व स्मरण मनुष्य के दुर्गुणों का नाश करता है।

स्वामी जी गीता के अध्याय का वर्णन करते हुए बताते हैं की अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं की,

“एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः। त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते।।”

अर्थात हे कृष्ण मेरे इस संशय को निःशेषता से काटने के लिये अर्थात् नष्ट करने के लिये आप ही समर्थ हैं क्योंकि आपको छोड़कर दूसरा कोई ऋषि या देवता इस संशय का नाश करने वाला सम्भव नहीं है। अतः आपको ही इसका नाश करना चाहिये।

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