कुंभ मेला — अमृतत्व की साधना | Amritatva ki Sadhana | Swami ji Kumbh Pravachan

भारत माता चैनल प्रस्तुत करता है स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज की वाणी से प्रस्फुटित "कुम्भ की स्मृतियाँ"। स्वामी जी के उपदेशों में एक गहरी सत्यता छिपी होती है, जो हमारे जीवन के संघर्ष और संघर्ष के बीच गहरे आत्मसाक्षात्कार की ओर मार्गदर्शन करती है।

स्वामी जी प्रवचन - जीवन की सच्ची साधना (प्रयाग कुंभ प्रवचन)

इस विशेष प्रस्तुति में पूजनीय स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने जीवन की सच्ची साधना के बारे में जो संदेश दिया, वह हमारे भीतर एक नया दृष्टिकोण और जीवन जीने की शक्ति जागृत करता है। स्वामी जी का कहना है कि जब कोई मनुष्य कष्ट और दुख के कारण अपने भक्ति भाव या चिंतन में परिवर्तन कर देता है, तो यह उसकी साधना का विकृत रूप होता है। जब हम कष्ट और दुखों को ईश्वर का प्रसाद मानकर उन्हें धैर्य और समर्पण के साथ स्वीकार करते हैं, तो यही असली साधना है। हमारी भक्ति और चिंतन तभी सही होते हैं जब हम जीवन की कठिनाइयों में भी आत्मसमर्पण कर, उनका स्वागत करते हैं।

कुम्भ का मेला - जीवन दर्शन का एक अद्वितीय प्रतीक

स्वामी जी के अनुसार, कुम्भ का मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और जीवन दर्शन का एक अद्वितीय प्रतीक है। कुम्भ मेले के माध्यम से भारतीय समाज को अमृत यात्रा की याद दिलाई जाती है। यह मेला न केवल एक आस्था का पर्व है, बल्कि जीवन के नश्वरता की गहरी समझ को भी प्रस्तुत करता है। यहाँ, लाखों लोग एकत्रित होकर मिलकर जीवन के अनित्य रूप को पहचानते हैं, और ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को दृढ़ करते हैं।

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