माया का प्रभाव और उससे बचने का उपाय - श्रीमद भगवद् गीता | Pravachan by Giri ji Maharaj
प्रस्तुत वीडियो में स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज रामचरित मानस की चौपायियों और गीता के श्लोकों के माध्यम से कहते हैं,
करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी। जिमि बालक राखइ महतारी॥
गह सिसु बच्छ अनल अहि धाई। तहँ राखइ जननी अरगाई॥
अर्थात मैं सदा उनकी वैसे ही रखवाली करता हूँ, जैसे माता बालक की रक्षा करती है। छोटा बच्चा जब दौड़कर आग और साँप को पकड़ने जाता है, तो वहाँ माता उसे (अपने हाथों) अलग करके बचा लेती है॥
दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दूर्त्या |
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते ||
अर्थात मेरी दिव्य शक्ति माया, जो प्रकृति के तीन गुणों से युक्त है, पर विजय पाना बहुत कठिन है। किन्तु जो लोग मेरी शरण में आते हैं, वे इसे सरलता से पार कर जाते हैं।
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