श्रीमद भगवद् गीता | परमात्मा की बातों को कैसे समझे - Bharat Mata

प्रस्तुत विडिओ मे  स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज जी कहते हैं की जीवन के प्रत्येक क्षण को प्रभु अर्थात ईश्वर का प्रसाद माने, फिर चाहे ईश्वर सुख दे या दुख, चाहे संमपन्नता अजाये या विपन्नता, चाहे संयोग आजाये या वियोग, उसे प्रसन्नता के साथ ग्रहण करें।

SHRIMAD BHAGWAT GEETA | Swami Satyamitranand Ji

स्वामी जी बताते हैं की,


“मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय।
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव।।”


अर्थात हे धनञ्जय ! मेरे बढ़कर (इस जगत् का) दूसरा कोई किञ्चिन्मात्र भी कारण नहीं है। जैसे सूतकी मणियाँ सूतके धागेमें पिरोयी हुई होती हैं, ऐसे ही यह सम्पूर्ण जगत् मेरे में ही ओत-प्रोत है। इस संसार मे जो कुछ है वो ईश्वर मे समाहित है।

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