पाटोत्सव समारोह रेणुकूट भाग -1 | Patotsav Samaroh Renukut Part -1 | Bharat Mata
पाटोत्सव समारोह रेणुकूट भाग -1 | Patotsav Samaroh Renukut Part -1 - स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज संसार में हम सब की अपनी- अपनी इच्छाएं होती हैं. लेकिन संसार में रहते- रहते इन इच्छाओं को धीरे-2 शांत करिए. क्योंकि एक दिन में इच्छाएं कम नहीं हो सकती हैं. आप सब कुछ करिए. लेकिन इन सब के बीच खुद को भी देखते रहिए, जो व्यक्ति खुद को नहीं देखता है. वह अंत में संसार को देखते- देखते चला जाता है. इसलिए उसे विवश होकर पुर्नजन्म मिलता है. इसलिए संसार को देखते हुए भी परमात्मा से प्रार्थना करिए कि जो आपने कर्तव्य दिया है उसका पालन बिना मोह के कर सकूं. क्योंकि मोह के कारण कर्तव्य के पालन में परेशानी आती है. मनुष्य के विवेक पर मोह का आवरण चढ़ जाता है. इसी मोह को समाप्त करने का उपाय ब्रह्मलीन स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज बता रहे हैं. सत्संग को सुनने से ही मनुष्य के अंदर मोह को त्यागने की क्षमता का विस्तार होगा |
परम पूजनीय स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज के समस्त संदेशों व उपदेशों से हम सदा सर्वदा प्रेरित होते रहेंगे।
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