दुर्गा भाभी Durgawati Devi - भारत माता

दुर्गा भाभी | Durga Bhabhi || Bharat Mata

दुर्गा भाभी का जन्म 7 अक्टूबर उन्नीस सौ दो को शहजाद पुर ग्राम पंडित बांके बिहारी के यहां हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में डाल दिए थे और इनके बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन जिले में थानेदार के पद पर तैनात थे। इनके द्वारा पंडित शिव शंकर शहजादपुर में जमींदार थे जो बचपन से ही दुर्गा भाभी की सभी बातों को पूर्ण करते थे।

Story of Durga Bhabhi

10 वर्ष की अल्पायु में ही दुर्गा भाभी विवाह अल्लाह और के भगवती जहां पूरा के साथ हो गया। इनके ससुर शिवचरण जी रेलवे में ऊंचे पद पर तैनात थे। अंग्रेज सरकार ने राय साहब का खिताब दिया था। भगवतीचरण वोहरा भाई साहब का पुत्र होने के बावजूद अंग्रेजों की दासता से देश को मुक्त कराना चाहते थे। वे क्रांतिकारी संगठन के प्रचार सचिव थे। वर्ष 1920 में पिताजी के मृत्यु के। भगवती चरण वोहरा खुलकर क्रांति में आकर और उनकी पत्नी दुर्गा भाभी ने भी पूर्ण रुप से सहयोग किया। सन् 1923 में भगवती चरण वोहरा के नेशनल कॉलेज b.a. की परीक्षा उत्तीर्ण की और दुर्गा भाभी ने प्रभाकर की डिग्री हासिल की। दुर्गा भाभी का बाइक व ससुराल दोनों पक्ष संपन्न था।

ससुर शिवचरण जी ने दुर्गा भाभी को 40000 पिता बांके बिहारी ने ₹5000 संकट के दिनों में काम आने के लिए दिए थे। लेकिन इस दंपति ने इस पैसे का उपयोग क्रांतिकारियों के साथ मिलकर देश को आजाद कराने किया। मार्च 1926 में भगवती चरण वोहरा का भगत सिंह ने संयुक्त रुप से नौजवान भारत सभा का प्रारूप तैयार किया और रामचंद्र कपूर के साथ मिलकर इस केस था। सैकड़ों जवानों ने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की बलिवेदी पर चढ़ाने की शपथ ली। अपने क्रांतिकारी जीवन में दुर्गा भाभी ने खतरा मोहल्ले। कपड़े का सबसे बड़ा काम था। लाहौर में लाला लाजपत राय पर लाठी बरसाने वाले स्थानों पर गोली चलाने के लिए भगत सिंह को कोलकाता पहुंचा। भगत सिंह के पीछे पड़ी हुई थी। उन्होंने अपने केस हाई कोर्ट पैंट शर्ट पहनकर यूरोपीय बने और दुर्गा भाभी उनके छोटे बच्चे के साथ उनकी पत्नी का रूप धारण करके प्रथम श्रेणी के दर्जे में अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंक कर लाहौर से निकलकर राजगुरु ने पहले कपड़े पहनकर कुली का वेश धारण कर लिया। किस प्रकार पुलिस का भगत सिंह को गिरफ्तार नहीं कर पाई। यदि पुलिस को इस योजना का पता लग जाता तो दुर्गा भाभी बच्चा पीती इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

केंद्रीय असेंबली भगत सिंह अवतार हो गए तो दुर्गा भाभी आदि ने उन्हें जेल से निकालकर कि छोटा बनाएं।इसमें इस्तेमाल करने के लिए जो काम बताए गए उनके परिषद ने 28 मई 1921 को भगवतीचरण वोहरा की मृत्यु हुई। दुर्गा भाभी पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। उनकी संपत्ति ज़ब्त कर ली गई।

फिर भी उन्होंने अपनी मुहिम जारी रखी और मुंबई के पुलिस कमिश्नर को मारने की योजना बनाई किंतु इसमें सफलता नहीं मिली। पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया लेकिन परमार ना मिले पर अधिक दिन तक जेल में नहीं रख सके। शेखर आजाद की शहादत के बाद जब क्रांतिकारी दल नेतृत्व विहीन हो गया तो दुर्गा भाभी ने पहले सादियाबाद और 1937 से 1982 तक लखनऊ में शिक्षा केंद्र चलाया। 2 अक्टूबर को दुर्गा भाभी ने गवर्नर रैली पर गोली चला दी थी जिसमें गवर्नर हेली तो बच गया लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया। मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेज पुलिस उनके पीछे पड़ गई। एक फ्लैट से दुर्गा भाभी बरसाती जसपाल को गिरफ्तार कर दिया। क्या दुर्गा भाभी का काम साथी क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल लाना पर भी जाना था?

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