सामवेद: एक शाश्वत ज्योति पुंज |सामवेद में क्या है? |Samveda

सम्पूर्ण विश्व में केवल भारत ही ऐसा देश है जहाँ वेद और उपनिषदों का चिंतन एवं ज्ञान.. रामायण एवं महाभारत की कथा.. श्रीमद्भागवद्गीता का उपदेश तथा महापुरुषों की जीवन गाथाएं.. आदिकाल से मानवता को जीवन-मूल्यों एवं सांसारिक ज्ञान के अमूल्य पाठ से प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत ने वेद.. उपनिषद.. महाकाव्यों के माध्यम से सम्पूर्ण जगत को बहुमूल्य निधि प्रदान की है।

संसार के प्राचीनतम एवं पवित्रतम वेद - पुराण एवं धार्मिक ग्रन्थ, जीवन उपयोगी हर क्षेत्र में मनुष्य को ज्ञान और नीति की वर्षा से सिंचित किया है। सनातन संस्कृति की अनमोल धरोहर होने के साथ ही साथ.. वेद.. विश्व साहित्य में भी उत्कृष्ट कृति के रूप में गौरवान्वित है। ज्ञान का ग्रन्थ – वेद.. ब्रह्मांड से लेकर जीव.. इतिहास से लेकर भूगोल.. विज्ञान से लेकर विश्वास.. सभी विधाओं में मनुष्य की ज्ञान प्राप्ति का अद्भुत संयोजन है। ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुनाया गया.. अपौरुषेय वेद.. चार भागों में विभाजित है – ऋग्वेद.. यजुर्वेद.. सामवेद एवं अथर्ववेद। वेद ज्ञान की श्रृंखला में ऋग्वेद एवं यजुर्वेद के पश्चात् तीसरा वेद है – सामवेद

गीत-संगीत की प्रधानता से युक्त सामवेद.. हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रन्थ वेद का तृतीय भाग है। साम का शाब्दिक अर्थ है गान.. इस वेद में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गीत के रूप में प्रयोग किया जाता था।

चारों वेदों में लघुतम.. सामवेद.. अत्यधिक रूप से ऋग्वेद से सम्बंधित है उपासना के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध सामवेद.. 1875 ऋचाओं का संकलन है.. जिसमें 99 मूल.. अधिकतर ऋग्वेद और शेष यजुर्वेद एवं अथर्ववेद से समाहित हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय उदगाता करते थे।

तीन वेदों के सारांश एवं नूतन स्तुतियों से सुसज्जित सामवेद आकार में लघु परन्तु प्रतिष्ठा में अग्रणी है। वेदों में सामवेद का महत्व इस तथ्य से ही ज्ञात हो जाता है कि स्वयं प्रभु श्री कृष्ण ने गीता में ‘वेदानां सामवेदोऽस्मि’ कहा है।  महाभारत में गीता के अतिरिक्त अनुशासन पर्व में भी सामवेद की महत्ता को दर्शाया गया है - सामवेदश्च वेदानां यजुषां शतरुद्रीयम्

जिस प्रकार ऋग्वेद के मंत्रों को ऋचा एवं यजुर्वेद के मंत्रों को यजूँषि की संज्ञा प्राप्त है.. उसी प्रकार सामवेद के मंत्रों को सामानि कहा जाता है। सामवेद में ऐसे मन्त्रों का समावेश है जिनसे यह प्रमाणित होता है कि वैदिक ऋषियों को ऐसे वैज्ञानिक तथ्यों का ज्ञान था.. जिनका ज्ञान आधुनिक वैज्ञानिकों को सहस्त्राब्दियों पश्चात् प्राप्त हो सका है। अग्नि पुराण के अनुसार.. सामवेद के विभिन्न मंत्रों के विधिवत जप आदि से रोग-व्याधियों से मुक्त हुआ जा सकता है तथा कामनाओं की सिद्धि हो सकती है

ज्ञानयोग.. कर्मयोग एवं भक्तियोग की त्रिवेणी – सामवेद.. भारतीय संगीत के मूल के रूप में प्रतिष्ठापित है। सनातन संस्कृति के भारतीय संगीत इतिहास में सामवेद का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। ऋषियों ने विशिष्ट मंत्रों का संकलन करके गायन की पद्धति विकसित की.. जो सामवेद की संगीतात्मकता का आधार बनी आधुनिक काल के विद्वानों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि समस्त स्वर.. ताल.. छंद.. लय.. गति.. मन्त्र.. स्वर-चिकित्सा.. राग नृत्य मुद्रा.. भाव आदि का उद्भव सामवेद से ही हुआ है नारदीय शिक्षा ग्रंथ में सामवेद की गायन पद्धति का वर्णन मिलता है.. जो आधुनिक हिन्दुस्तानी और कर्नाटक संगीत में सा-रे-गा-मा-पा-धा-नि-सा स्वरों के क्रम में बद्ध है।

पुराणों के अनुसार सामवेद एक सहस्त्र शाखाओं से समाहित है.. जिनमें वर्तमान में प्रपंच ह्रदय.. दिव्यावदान.. चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र के अनुसार 13 शाखाओं की पुष्टि होती है। सामवेद संहिता दो भागों में विभाजित है - आर्चिक और गान.. जिनमें तेरह शाखाओं में से तीन आचार्यों की शाखाएँ विदित हैं

(1) कौमुथीरयी (2) राणायनीय और (3) जैमिनीय।

इन शाखाओं का अध्यन करने वाले पंडितों एवं विद्वानों को.. पंचविश या उद्गाता कहा जाता है।

सामदेव प्रमुख रूप से सूर्य स्तुति के मंत्रों से युक्त है परन्तु सोम का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है। सामवेद में सोमरस को बुद्धि में वृद्धि करने वाले तथा बल एवं कामना की पूर्ति करने वाले उर्जावान पेय के रुप में परिभाषित किया गया है.. जिसे इंद्र देवता ग्रहण कर अपनी शक्ति की सभी दिशाओं में वृद्धि करते हैं।

प्राचीनतम दस उपनिषदों में सर्वाधिक वृहद् उपनिषद - छान्दोग्य एवं केन उपनिषद.. सामवेदीय शाखा से सम्बंधित उपनिषद हैं।  

भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण संसार में.. कला.. साहित्य.. गीत एवं संगीत की प्रधानता तथा लोकप्रियता के कारण.. सामवेद आज भी पूर्णतः प्रासंगिक है एवं मानवमात्र के लिए अमूल्य निधि के रूप में सुशोभित है। सकल विश्व और मानव कल्याण को समर्पित वेद ज्ञान को भारत समन्वय परिवार की ओर से शत-शत नमन

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