एक नाम ऐसा जो सुख में भी निकलता है और दुख में भी 'राम' | Swami Satyamitranand Ji

भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज जी कहते हैं,


“राम नाम बर बरन जुग सावन भादव मास॥“


अर्थात श्री रघुनाथजी की भक्ति वर्षा ऋतु है, तुलसीदासजी कहते हैं कि उत्तम सेवकगण धान हैं और 'राम' नाम के दो सुंदर अक्षर सावन-भादो के महीने हैं॥

स्वामी सत्यमित्रानंद जी के प्रवचन

स्वामी जी कहते हैं की हम सभी के लिए ये सौभाग्य की बात है की हमे भारत की पावन भूमि पर जन्म मिला है। लेकिन जो व्यक्ति सिर्फ पदार्थों के भोग के लिए जन्म लेता है, उसका जीवन व्यर्थ है। ऐसे लोग जितना अधिक जीते हैं उतने ही पाप करते हैं। लेकिन जो व्यक्ति सत्कर्म करता है, उसका जीवन सदा सफल होता है।

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