श्रावण मास में श्रवण की महिमा | श्रीमद भगवद् गीता | Swami Satyamitranand Ji

प्रस्तुत विडिओ मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज कहते हैं,

“कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्”।

स्वामी जी कहते हैं की श्री कृष्ण चाहते हो सिर्फ अर्जुन के सर पर हाथ रखने से ही उन्हे गीता का ज्ञान हो जाता, परंतु अपने अस्तित्व के रक्षण के लिए और अर्जुन जैसे साधक के संरक्षण के लिए श्री कृष्ण ने वाणी के द्वारा गीता का ज्ञान दिया था, ताकि जब तक ये संसार रहे तब तक गीता का ज्ञान रहे, और जब गीता का ज्ञान रहे तब तक अर्जुन और श्री कृष्ण रहें।

स्वामी जी कहते हैं,

आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः।

आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्।।

अर्थात कोई गीता को आश्चर्य की तरह देखता है और वैसे ही अन्य कोई इसका आश्चर्य की तरह वर्णन करता है तथा अन्य कोई इसको आश्चर्य की तरह सुनता है; और इसको सुनकर भी कोई नहीं जानता।

Explore More: Swami Satyamitranand ji Maharaj Pravachan | Bharat Mata Channel