Agni Puran |अग्नि पुराण का महत्त्व |अग्नि पुराण के रहस्य
भारतीय संस्कृति, परम्परा और धार्मिक जीवन शैली 'का प्रतिपादन करने वाले पुराणों की सार- सक्षिप्त ज्ञान श्रंखला में आज हम बात करेंगे अग्नि पुराण की। अग्नि देव के मुख से कहे जाने के कारण ही इस पुराण का नाम का अग्नि पुराण है। अग्नि पुराण ज्ञान का विशाल भण्डार है। स्वयं अग्निदेव ने इसे महर्षि वशिष्ठ को सुनाते हुए कहा था-
अग्निपुराण अध्ययन : हिंदू धर्म ग्रंथ (Purans in Hindi)
आग्नेये हि पुराणेडस्मिन सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः ।
अर्थात् अग्नि पुराण में सभी विधाओं का वर्णन है। विद्याओं के प्रकाशन की दृष्टि से यह पुराण अति विशिष्ट महत्व रखता है। इस पुराण में 383 अध्याय है। गीता, रामायण, महाभारत, हरिवंश पुराण आदि का परिचय इस पुराण में है।
सृष्टि वर्णन, संख्या, स्नान, पूजा विधि, होम विधि, दीक्षा और अभिषेक विधि, शिलान्यास विधि, वास्तु पूजा विधि, खगोल शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, औषधि ज्ञान, दान महात्म्य, धनुर्वेद शिक्षा, स्वर्ग-नरक वर्णन, सूर्य वंश, सोमवंश आदि का वर्णन इस पुराण में किया गया है। वेदान्त के सभी विषयों को उत्तम रीति से समझाया गया है। इसके अलावा जीवन के लिए उपयोगी सभी विधाओं की जानकारी' 'इस' पुराण में मिलती है।
पुराणों के पाँचों लक्षणों = सर्ग, प्रतिसर्ग, राजवंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित आदि का वर्णन इस पुराण में प्राप्त होता है ।
अग्निपुराण का महत्त्व
अग्नि पुराण ज्ञान मार्ग को ही सत्य स्वीकार करता है। उसका कहना है कि ज्ञान से ही ब्रहम की प्राप्ति सम्भव है ? कर्मकाण्ड से नहीं। ब्रहम ही परम ज्योति है जो मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार से भिन्न है। जरा, मरण, शोक, मोह, भूख-प्यास, स्वप्न आदि से रहित है। वर्णाश्रम धर्म की व्याख्या इस पुराण में विशेष रूप से बतायी गयी है।
ब्रहमचारी को हिंसा और निन्दा से दूर रहना चाहिए गृहस्थाश्रम के सहारे ही अन्य तीन आश्रम अपना जीवन निर्वाह करते हैं। इसलिए गृहस्थ आश्रम सभी आश्रम में श्रेष्ठ है। वर्ण की दृष्टि से किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। वर्ण कार्य से बने हैं, जन्म से नहीं, अतः सभी वर्ण श्रेष्ठ हैं।
अग्नि पुराण: The Essence of Agni Purana
चिकित्सा शास्त्र की व्याख्या में इस पुराण मे बताया गया है कि समस्त रोग अत्यधिक भोजन और असमय भोजन करने से होते है। अत: सदैव संतुलित आहार लेना चाहिए। समस्त रोगों का उपचार जड़ी-बूटियों द्वारा बताया गया है। अग्नि पुराण में व्रतों को जीवन के उत्थान के लिए संकल्प का, स्वरूप माना गया है। व्रत- उपवास के समय जीवन में 'अत्यन्त सादगी और धार्मिक आचार-विचार का पालन करने पर भी बल दिया गया है। इस पुराण में सर्पों के बारे में भी विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। मंत्र शक्ति का महत्व भी इस पुराण मे बताया गया है।
विषय सामग्री की दृष्टि से इस पुराण को भारतीय जीवन का विश्वकोष कहा जा सकता है। इस पुराण में दैनिक जीवन की उपयोगी शिक्षाओं 'को विशेष महत्व दिया गया है।
भारत समन्वय परिवार की ओर से अग्नि देव को समर्पित अग्नि पुराण के जीवन मूल्यों को शत शत नमन। हमारा अथक प्रयास है कि इस बहुमूल्य पुराण के सार को जन जन तक पहुँचाए और इस यशस्वी परंपरा को.. सदा जीवंत रखने का संकल्प लें।