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Tulsi : आस्था या विज्ञान? | तुलसी का महत्व | 5 Amazing Facts about Tulsi Plant | Watch Now

एक ऐसी सांस्कृतिक धरोहर, जो भारत के लगभग हर घर में पायी जाती है— माँ तुलसी। वह केवल एक पौधा नहीं, बल्कि आस्था, शुद्धता, जीवन शक्ति का प्रतीक और देवी स्वरूपा हैं — जिन्हें विष्णु प्रिया कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि भगवान विष्णु को केवल एक तुलसी पत्र भी अर्पित किया जाए, तो वह सभी पूजा-विधियों को पूर्ण कर देता है। तुलसी माता के बिना विष्णु पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही हमारे पूर्वजों ने कहा है — “जहाँ तुलसी है, वहाँ देवता वास करते हैं।” इसलिए तुलसी को केवल घर की शोभा नहीं, बल्कि उसका रक्षक माना गया है।

तुलसी का इतिहास और नाम का अर्थ ( Tulsi Plant )

तुलसी माता का इतिहास बहुत प्राचीन है। तुलसी का नाम ही अपने अर्थ में बताता है — “अतुलनीय”, अर्थात् जिसके सामान कोई नहीं। घर में तुलसी का पौधा लगाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक पवित्र कर्म है, क्योंकि यह माना जाता है कि जहाँ तुलसी होती है, वहाँ नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और शुभता का वास होता है।

रामा तुलसी और श्यामा तुलसी: प्रकार एवं उपयोग ( What are the benefits of a Tulsi Plant )

तुलसी के दो प्रमुख प्रकार माने गए हैं — रामा तुलसी और श्यामा तुलसी।
रामा तुलसी का स्वभाव सात्विक और शांत माना गया है। वास्तु और धर्मशास्त्रों के अनुसार, घर में रामा तुलसी का पौधा लगाना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है और वातावरण को पवित्र बनाती है। यही कारण है कि अधिकांश घरों में पूजा के लिए रामा तुलसी का ही प्रयोग किया जाता है।

श्यामा तुलसी को आयुर्वेद में अनेक रोगों की औषधि माना गया है — यह श्वास, खाँसी, बुखार और पाचन संबंधी समस्याओं में उपयोगी है। श्यामा तुलसी अध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, परंतु दैनिक पूजन के लिए घर में रामा तुलसी को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि उसका स्वभाव अधिक सौम्य और गृहस्थ जीवन के अनुकूल माना गया है।

तुलसी से जुड़ी धार्मिक प्रथाएँ और पूजन विधि

तुलसी केवल आस्था का नहीं, बल्कि विज्ञान का भी प्रतीक है। इसके पत्तों में वह तत्व होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं, रोगाणुओं को नष्ट करते हैं और मन को शांत करते हैं। इसलिए हमारे पूर्वजों ने कहा था कि तुलसी को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए, ताकि सूर्य की पहली किरणें उस पर पड़ें और उसका प्रभाव पूरे घर में फैले।

सुबह-शाम तुलसी के सामने दीपक जलाने की परंपरा केवल पूजा नहीं, बल्कि एक साधना है। यह हमें याद दिलाती है कि प्रकृति और ईश्वर एक ही शक्ति के दो रूप हैं।

इसलिए जब आप अपने आँगन में तुलसी माता को जल चढ़ाएँ, तो समझिए कि आप केवल एक पौधे को नहीं, बल्कि अपने घर की संरक्षक देवी को प्रणाम कर रहे हैं। माँ तुलसी घर में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि का संचार करती हैं।

वंदेऽहं तुलसीं देवीं, विष्णोः प्रियकामिनीम् —
जग में जितने फूल खिले, उनमें सबसे पवित्र माँ तुलसी हैं।

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