25 नवंबर 2025, यह वह ऐतिहासिक दिन था जब अयोध्या की पावन धरा पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर भगवा धर्मध्वज फहरा उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति में अभिजीत मुहूर्त में यह धर्मध्वज स्थापित किया गया। यह केवल एक ध्वजारोहण समारोह नहीं था, बल्कि 500 वर्षों के संघर्ष की पूर्णता, असंख्य बलिदानों की स्वीकृति और भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक था।

भगवा ध्वज: हिन्दू संस्कृति का शाश्वत प्रतीक

भगवा रंग का महत्व

भगवा ध्वज हिन्दू संस्कृति और धर्म का प्राचीनतम प्रतीक है। भगवा रंग, जिसे केसरिया भी कहा जाता है, उगते हुए सूर्य का रंग है। यह अधर्म के अंधकार को दूर करके धर्म का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है। यह यज्ञ की ज्वाला का रंग है, जो त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता, वीरता और समस्त मानवीय मूल्यों का प्रतीक है।

आयुर्वेद और ज्योतिष शास्त्र में भगवा रंग को बृहस्पति ग्रह का रंग माना जाता है, जो ज्ञान को बढ़ाता है और आध्यात्मिकता का प्रसार करता है। कलर थेरेपी के अनुसार, भगवा रंग समृद्धि एवं आनंद का प्रतीक है, जो मानसिक संतुलन बनाता है और क्रोध पर नियंत्रण करते हुए प्रसन्नता को बढ़ाता है।

भगवा ध्वज का ऐतिहासिक महत्व

भगवा ध्वज का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। महाभारत में अर्जुन के रथ पर भगवा ध्वज विराजमान था। भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के रथों पर भी यही ध्वज लहराता था। रामायण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है।

मध्यकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना का यही ध्वज था। महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, महाराजा रंजीत सिंह और अनगिनत वीर योद्धाओं ने भगवा ध्वज के नीचे विदेशी आक्रांताओं से संघर्ष किया। दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य और मराठा साम्राज्य में भी भगवा ध्वज को राजसी सम्मान प्राप्त था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने परम पवित्र भगवा ध्वज को ही अपना गुरु माना है। संघ की शाखाओं में इसी ध्वज को लगाया जाता है और इसी के सामने राष्ट्रसेवा की शपथ ली जाती है।

भगवा ध्वज का स्वरूप

भगवा ध्वज में दो त्रिभुज होते हैं, जो यज्ञ की ज्वालाओं के प्रतीक हैं। ऊपर वाला त्रिभुज नीचे वाले से कुछ छोटा होता है। ये त्रिभुज संसार में विविधता, सहिष्णुता, असमानता और सामंजस्य के प्रतीक हैं। ये हमें सिखाते हैं कि एक दूसरे के प्रति सहअस्तित्व, सहयोग और सद्भाव की भावना रखना आवश्यक है।

राम मंदिर के भगवा ध्वज की विशेषताएं

ध्वज का स्वरूप और आकार

राम मंदिर के शिखर पर फहराया गया भगवा ध्वज 10 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा त्रिकोणीय ध्वज है। यह तीन परत वाले स्वदेशी कपड़े से पूरी तरह हाथ से बनाया गया है। इसके किनारों पर गोल्डन फैब्रिक और ऊपर सिल्क के कपड़े का इस्तेमाल किया गया है। इस ध्वज को बनने में कुल 25 दिन का समय लगा।

ध्वज पर अंकित प्रतीक चिह्न

राम मंदिर के धर्मध्वज पर तीन दिव्य प्रतीक चिह्न अंकित हैं, जो इसे अत्यंत विशिष्ट और पवित्र बनाते हैं:

1. ॐ (ओम)

ॐ सनातन धर्म में सबसे पवित्र ध्वनि और प्रतीक है। यह केवल एक शब्द नहीं, बल्कि समूचे ब्रह्मांड की मूल ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत इसी ध्वनि से हुई थी। ॐ का उच्चारण मात्र से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह शाश्वत, अविनाशी और सनातन परंपरा का प्रतीक है।

2. सूर्य

भगवान राम सूर्यवंश में जन्मे थे। सूर्यवंश की शुरुआत सूर्य देव के पुत्र वैवस्वत मनु से मानी जाती है। सूर्य रघुकुल के कुल देवता हैं। ध्वज पर अंकित दीप्तिमान सूर्य भगवान राम के तेज, पराक्रम, ऊर्जा और संकल्प का प्रतीक है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अयोध्या में रामलला का जन्म हुआ था, तब सूर्य का रथ कुछ देर के लिए रुक गया था और पूरे एक महीने तक असाधारण प्रकाश फैला रहा। रामायण में यह भी वर्णन है कि महर्षि अगस्त्य ने श्री राम को रावण से युद्ध करने से पहले सूर्योपासना करने की सलाह दी थी।

3. कोविदार वृक्ष

कोविदार वृक्ष राम मंदिर के ध्वज की सबसे विशिष्ट और रोचक विशेषता है। यह प्राचीन अयोध्या का राजचिह्न और रघुवंश का प्रतीक वृक्ष था।

कोविदार वृक्ष का पौराणिक इतिहास:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोविदार विश्व का पहला हाइब्रिड वृक्ष था। महर्षि कश्यप ने पारिजात और मंदार (दोनों दिव्य वृक्ष) के गुणों को मिलाकर इस वृक्ष की रचना की थी। इस वृक्ष में बैंगनी रंग के मनमोहक सुगंधित पुष्प खिलते हैं। यह 15 से 25 मीटर ऊंचाई का वृक्ष है, जिसे कचनार या कंछनार के नाम से भी जाना जाता है।

रामायण में कोविदार का उल्लेख:

वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड के 84वें और 96वें सर्ग में कोविदार वृक्ष का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। जब भरत जी भगवान राम को वनवास से वापस लाने के लिए अपनी सेना के साथ चित्रकूट पहुंचे थे, तब लक्ष्मण जी ने दूर से ही उनके रथ पर फहरते कोविदार वृक्ष वाले ध्वज को देखकर पहचान लिया था कि यह अयोध्या की सेना है।

महाकवि कालिदास की रचनाओं रघुवंश और मेघदूतम् में भी कोविदार का उल्लेख मिलता है। यह वृक्ष रघुवंश के तप, त्याग, मर्यादा, शौर्य, समृद्धि और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।

औषधीय महत्व:

आयुर्वेद में कोविदार वृक्ष को उच्च स्थान प्राप्त है। इसके फूल, पत्तियां और छाल कई रोगों के उपचार में औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। यह टीबी, रक्तविकार और अन्य समस्याओं के लिए लाभकारी माना जाता है।

25 नवंबर 2025: ध्वजारोहण का ऐतिहासिक दिन

विवाह पंचमी का शुभ अवसर

25 नवंबर 2025 का दिन विवाह पंचमी का था, जब त्रेतायुग में भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसी शुभ दिन पर मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के अभिजीत मुहूर्त में धर्मध्वज स्थापित किया गया।

समारोह की भव्यता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह करीब 10 बजे अयोध्या पहुंचे। उन्होंने सर्वप्रथम सप्तमंदिर परिसर में स्थित महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के मंदिरों में दर्शन और पूजन किया।

दोपहर ठीक 12 बजे प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर भगवा धर्मध्वज फहराया। इस समय पूरा परिसर वैदिक मंत्रोच्चार और जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।

करीब 7000 अतिथि इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। पूरे शहर में 100 टन फूलों से सजावट की गई थी। अयोध्या रोशनी और दिव्यता से नहा उठी थी।

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा:

"यह धर्मध्वज केवल एक ध्वजा नहीं, यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। इसका भगवा रंग, इस पर अंकित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ॐ शब्द और अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करते हैं। यह ध्वज संकल्प है, सफलता है, संघर्ष से सृजन की गाथा है। यह सदियों से चले आ रहे स्वप्नों का साकार स्वरूप है।"

उन्होंने आगे कहा: "आने वाली सदियों तक यह धर्मध्वज प्रभु राम के आदर्शों का उद्घोष करेगा। यह प्रेरणा बनेगा कि प्राण जाए पर वचन न जाए। यह संदेश देगा - कर्मप्रधान विश्व रचि राखा।"

संघ प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन

डॉ. मोहन भागवत ने कहा: "आज हम सबके लिए सार्थकता का दिन है। रामराज्य का ध्वज जो कभी अयोध्या में फहराता था, आज फिर से अपने शिखर पर विराजमान हो गया है। इस भगवा ध्वज पर रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष है। यह वृक्ष सबके लिए छाया देता है, स्वयं धूप में खड़ा रहकर।"

भगवा ध्वज का वर्तमान महत्व

राष्ट्रीय एकता का प्रतीक

राम मंदिर का भगवा ध्वज केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों की आस्था और स्वाभिमान का प्रतीक है। यह राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक गौरव और भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का संदेश देता है।

सांस्कृतिक पुनरुत्थान

यह ध्वज हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति, हमारी परंपराएं और हमारे मूल्य शाश्वत हैं। यह गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

विकसित भारत का संकल्प

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि रामराज्य के आदर्शों - न्याय, समता, भाईचारा और सबका विकास - को अपनाकर ही हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

पर्यटन और आर्थिक विकास

राम मंदिर के निर्माण और धर्मध्वज स्थापना से अयोध्या में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अब तक 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु अयोध्या आ चुके हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिला है।

धर्मध्वज की देखभाल और व्यवस्था

राम मंदिर के भगवा ध्वज की देखभाल के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर ध्वज को बदला जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ध्वज हमेशा सम्मानजनक स्थिति में रहे।

भविष्य की दिशा

राम मंदिर का निर्माण कार्य अभी भी कई चरणों में जारी है। आने वाले समय में परिसर में राम कथा संग्रहालय, कारसेवकों का स्मारक और अन्य सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। यह स्थान केवल धार्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और आध्यात्मिकता का वैश्विक केंद्र बनेगा।

निष्कर्ष

अयोध्या राम मंदिर के शिखर पर फहराता भगवा धर्मध्वज एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है। यह 500 वर्षों के संघर्ष की पूर्णता, असंख्य बलिदानों का सम्मान और भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है।

इस ध्वज पर अंकित ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष - ये तीनों प्रतीक हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं, हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं और उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करते हैं।

यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह हमें याद दिलाएगा कि आस्था, संकल्प और अटूट विश्वास से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

जय श्री राम! जय भगवा ध्वज!