उसका जीना भी क्या जीना | Uska Jeena Bhi Kya Jeena (Swami Ji Ke Swar)|Bharat Mata
एक पंछी उड़ रहा था| Ek Panchi Ud Raha Tha | Kavita |Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj |Bharat Mata
दीप तुम जलते रहो | स्वामी सत्यमित्रानंद गिरिजी महाराज | Deep Tum Jalte Raho | Bharat Mata
संसार में अकर्मण्यता तथा आलस्य की युक्ति के समान वाक्य है कि “समय कम है” किन्तु विचार की श्रेष्ठा एवं कर्मठ तथा ज्ञानी मानव का सन्देश है कि “अब भी समय है”।
हे दीप तुम्हें शत-शत प्रणाम, तुम पूजा के साक्षी ललाम ॥ तुम ऊर्ध्वमुखी सूर्यांश मुखर देते प्रकाश प्रति नगर-नगर । स्नेहासिक्त मृत्तिका धार, युद्धोन्मुख हो तुमसे अन्धकार |
धरती पर बैठे हैं, धरती पर सोना हैं कुटिया , प्रसाद - भवन धरती का कोना हैं धरती ने जन्म दिया, धरती दुलारती हैं धरती से खींच गंध , पुष्प राशि लती हैं ।
प्रीती प्रेम से सहना होगा | Preeti Prem Se Sahena Hoga | Bharat Mata
बांटा नया सवेरा - स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज
Maine Bulaya To Bahut Tmse Aaya Na Gaya | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | चिर प्रतीक्षा
शपथ लेते हैं, साथ ना चलते हैं लाज छोड़कर भी मन मचलते हैं पैर धरती पर स्वयं आकाश मे उड़ते हैं बात-चीत मे जुबान की चाकू चल जाती है
ज़िन्दगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जो ज़िन्दगी को खुशियों से भर देते हैं.. तो कुछ पल ग़म के बादल भी साथ लेकर आते हैं। किसी नदी की तरह बहता हुआ वक़्त.. ज़िन्दगी में बहुत कुछ सिखाता रहता है।
युद्धभूमि मसि-पात्र है.. सैनिक कलम समान । बलिदानों के पृष्ठ पर गाथा लिखी महान ।। सीमा पर प्रहरी बने.. नहीं सुविधा की चाह । पट-कुटीर में वास कर.. चले समर की राह ।।