व्यथित पीड़ित हो न कोई व्याधि तो वरदान है । और साजों से सजा प्रारब्ध का ही गान है । कर्म की जंजीर का यह एक छोटा भाग है । पूर्व के संगीत का ही यह अधूरा राग है ।
हरि में जग है | Hari Mai Jag Hai - ब्रह्मलीन स्वामी सत्यामित्रानंद जी महाराज द्वारा रचित कविता । हरि में जग है जग में हरि है, कर ले मन विश्वास रे। प्रकृति नटी नर्तन करती है, प्रभु मिलन की आस रे।
शुचितम स्नेह - Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj
प्रभु के नाम एक पत्र - स्वामी सत्यमित्रनन्द गिरी जी महाराज द्वारा रचित सुंदर कविता | Bharat Mata
मुरली महिमा - स्वामी सत्यमित्रनन्द गिरी जी महाराज द्वारा रचित सुंदर कविता |
कृष्ण चरित तो स्वंय काव्य है- स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी एक आध्यात्मिक गुरु थे | स्वामी सत्यमित्रानंद को 29 अप्रैल, 1960 को मात्र 26 वर्ष की
गुलाब और मानव - स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज |Bharat Mata