भारतीय आध्यात्मिक जीवनधारा में जिन ग्रंथों का महत्त्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण प्राचीन भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराणों की इस शृंखला में प्रथम पुराण ब्रम्ह पुराण में निहित शाश्वत ज्ञान और भक्ति धारा की चर्चा की गई है
भारत माता चैनल के माध्यम से जानिए क्या है अथर्ववेद का महत्व| वेद ज्ञान की श्रृंखला में चौथा एवं अंतिम वेद है – अथर्ववेद | भाषा एवं स्वरुप के आधार पर ऐसी मान्यता है कि अथर्ववेद की रचना अंतिम वेद के रूप में हुई थी।
प्रस्तुत पुराण श्रंखला में विष्णु पुराण का वर्णन किया गया है| अट्ठारह पुराणों की सूची में तृतीय स्थान पाने वाला यह पुराण पाराशर ऋषि की रचना है| इस पुराण में मुख्य रूप से कृष्ण चरित्र का वर्णन है|
पद्म पुराण, महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारह पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना के क्रम में ‘पद्म पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। पद्म का अर्थ है-‘कमल |
प्रस्तुत वेद पुराण संग्रह में यजुर्वेद (Yajurveda in Hindi) का संक्षिप्त वर्णन किया गया है|भारतीय सनातन संस्कृति के पवित्रतम ग्रन्थ एवं लौकिक तथा अलौकिक ज्ञान के साधन वेद के दूसरे भाग को यजुर्वेद के रूप में ख्याति प्राप्त है।
भारतीय सनातन संस्कृति के पवित्रतम साहित्य के चार भागों में से अत्यंत महत्वपूर्ण और सर्वप्रथम भाग है – ऋग्वेद | आस्था की दृष्टि से ऋग्वेद को सनातन धर्म का स्त्रोत भी कहा जाता है |