माँ स्कंदमाता माँ दुर्गा के नवरूपों में पंचम स्वरूपा हैं। माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं जिनकी आराधना से उपासक को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।
नवरात्र-पूजन के चतुर्थ दिवस पर माँ कुष्माण्डा के स्वरूप की उपासना की जाती है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब माँ कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी।
माँ दुर्गा की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांतिदायक एवं कल्याणकारी है। इनके मस्तक पर घंटे का आकार का अर्धचंद्र है.जिस कारण से माँ चंद्रघंटा के नाम से इनकी आराधना की जाती है।
माँ शैलपुत्री माँ दुर्गा के नवरूपों की प्रथम स्वरूपा हैं। नवरात्र -पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। मान्यता है कि माँ शैलपुत्री मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं
माँ दुर्गा की अष्टम शक्ति के रूप में माँ महागौरी की उपासना की जाती है। माँ महागौरी आदिशक्ति हैं जिनकी दिव्यता से संपूर्ण विश्व प्रकाश-मान होता है एवं उनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी है।
भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था, धर्म की स्थापना के लिए और राजा कंस के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाने हेतु भगवान कृष्ण ने धरती पर अवतार धारण किया था
गुरु पूर्णिमा : महत्व एवं जीवन की सार्थकता में गुरु की भूमिका | Guru Purnima
दशहरा (विजयादशमी ) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था।
शुभ दीपोत्सव : दीपावली की अन्नंत शुभकामनायें
गंगा दशहरा ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। यह गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत ही खास महत्व है। हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है, इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
गणेशोत्सव महाराष्ट्र का एक मुख्य त्यौहार है, परन्तु वर्तमान समय में इसकी धूम अखिल भारत में है. इस त्यौहार से जुड़ा हुआ सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है की इसका महत्त्व पौराणिक से अधिक ऐतिहासिक है. इस महोत्सव का आधार भारत के इतिहास से सम्बंधित है.