भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने कुम्भ की स्मृतियों के माध्यम वर्णित किया है की इस संसार में सभी भौतिक सुख-सुविधाओं को भूल जाना चाहिए, लेकिन अपनी माटी का सम्मान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने कुम्भ की स्मृतियों के माध्यम वर्णित किया है की जीवन में हम क्या लेकर आते हैं और अंत में क्या लेकर जाते हैं। स्वामी जी के शब्दों में कुम्भ का मेला "प्रयागराज क्रांति का पर्व" है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने कुम्भ की स्मृतियों के माध्यम से सच्ची साधना के विषय मे संदेश प्रस्तुत किये हैं। कुम्भ के माध्यम से अमृत यात्रा का अनुभव होता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने कुम्भ की स्मृतियों के माध्यम से समस्त जनमानस को संदेश दिया है की "उठो जागो और लक्ष्य प्राप्त होने तक रुको मत"। स्वामी जी के वचन हमे आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करते हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से बताया है की चारों वर्णों की उत्पत्ति कैसे हुई। स्वामी जी के अनुसार संसार मे सभी ईश्वर की इच्छा से उत्पन्न हुए हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से सात्विक धर्मयात्रा का वर्णन किया है। स्वामी जी के अनुसार हर भक्त का यह प्रयास होना चाहिए कि उनका जीवन ईश्वर के मार्गदर्शन में संचालित हो।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे परम पूजनीय स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से वर्णित किया है की इस संसार मे ज्ञान से बढ़कर कुछ श्रेष्ठ नहीं है। ज्ञान ही सर्वत्र व सर्वश्रेष्ठ है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से श्री कृष्ण के बहुआयामी स्वरूपों का वर्णन किया है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से भक्ति के प्रकार वर्णित किए हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से भारतीय दर्शन की पहचान वर्णित की है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने माया के प्रभाव और उससे बचने का उपाय वर्णित किये हैं। Swami Satyamitranand Giri ji Maharaj
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज गीता के माध्यम से अपने संकल्पों को शुद्ध करने की विधि को वर्णित करते हैं।