भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने गीता के माध्यम से भारतीय दर्शन की पहचान वर्णित की है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने माया के प्रभाव और उससे बचने का उपाय वर्णित किये हैं। Swami Satyamitranand Giri ji Maharaj
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज गीता के माध्यम से अपने संकल्पों को शुद्ध करने की विधि को वर्णित करते हैं।
प्रस्तुत विडिओ मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज ने श्रावण मे श्रवण की महिमा को वर्णित किया है। जिसमे “कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्” का सार है।
Bharat Mata की यह प्रस्तुति पूज्य स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज के स्वर्णिम वचनों को समर्पित है। जहाँ उन्होंने बताया है की गीता मात्र मोक्ष शास्त्र ही नहीं अपितु गीता राष्ट्र शास्त्र है।
Bharat Mata की यह प्रस्तुति पूज्य स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज के स्वर्णिम वचनों को समर्पित है। जहाँ उन्होंने बताया है की भगवान शंकर को देवाधिदेव महादेव कहने का कारण क्या है? साथ ही इसमे श्रवण और श्रावण की महिमा भी वर्णित है।
Bharat Mata की यह प्रस्तुति पूज्य स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज के स्वर्णिम वचनों को समर्पित है। जहाँ वो गीता के माध्यम से अहंकार को समाप्त करने की विधि को वर्णित करते हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज द्वारा संसार के प्रत्येक प्राणी की भिन्नता और समानता का वर्णन है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि जीवन के हर क्षण को भगवान का प्रसाद समझ कर ग्रहण करें। क्यूँ की इस संसार मे जो कुछ भी है वो सब कुछ ईश्वर मे ही समाहित है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं की हम सभी के लिए ये सौभाग्य की बात है की हमे भारत की पावन भूमि पर जन्म मिला है, और जब इस देव भूमि पर जन्म मिला है, तो सदा सत्कर्म करने का प्रयास करें, क्यूँ की कर्मों के द्वारा ही मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता के माध्यम से बताते हैं की संसार मे कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता का कोई अन्य उदाहरण नहीं है। स्वामी जी कहते हैं की चरित्र से मूल्यवान संपत्ति और कोई नहीं है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता के माध्यम से बताते हैं सेवा के द्वारा जो ज्ञान प्राप्त होता है, उसमे स्थायित्व होता है। जब तक जीवन है तब तक साधना करना आवश्यक है।