भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज द्वारा संसार के प्रत्येक प्राणी की भिन्नता और समानता का वर्णन है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि जीवन के हर क्षण को भगवान का प्रसाद समझ कर ग्रहण करें। क्यूँ की इस संसार मे जो कुछ भी है वो सब कुछ ईश्वर मे ही समाहित है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं की हम सभी के लिए ये सौभाग्य की बात है की हमे भारत की पावन भूमि पर जन्म मिला है, और जब इस देव भूमि पर जन्म मिला है, तो सदा सत्कर्म करने का प्रयास करें, क्यूँ की कर्मों के द्वारा ही मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता के माध्यम से बताते हैं की संसार मे कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता का कोई अन्य उदाहरण नहीं है। स्वामी जी कहते हैं की चरित्र से मूल्यवान संपत्ति और कोई नहीं है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता के माध्यम से बताते हैं सेवा के द्वारा जो ज्ञान प्राप्त होता है, उसमे स्थायित्व होता है। जब तक जीवन है तब तक साधना करना आवश्यक है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता के माध्यम से बताते हैं की ईश्वर की प्रार्थना कर के ही मनुष्य शंका और संदेह से मुक्त हो सकता है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता के माध्यम से आसक्ति के विषय को वर्णित करते हैं। स्वामी जी बताते हैं कि जो व्यक्ति ईश्वर मे आसक्त हो जाता है उसकी रक्षा भी स्वयं ईश्वर करता है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे सूर्य को प्रेरणा का माध्यम बताया गया है। व्यक्ति को कभी भी स्वयं पर संदेह नहीं करना चाहिए। स्वयं पर विश्वास कर के ही विजय प्राप्त होती है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज गीता के 7वें अध्याय को वर्णित करते हुए कहते हैं कि गीता के माध्यम से ईश्वर में आसक्ति होना अति सरल है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज नाम जप को सर्वश्रेष्ठ यज्ञ बताते हुए कहते हैं कि "कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहिं पारा।
भगवद गीता का उद्देश्य परमात्मा, आत्मा, और सृष्टि विधान के ज्ञान को स्पष्ट करना है, प्रस्तुत प्रवचन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज के भक्ति-भाव से पूर्ण वचनों द्वारा जानिए गीता के प्राकट्य का उद्देश्य क्या था?
स्वामी जी बताते हैं की इस संसार मे किसी व्यक्ति के लिए सबसे दुर्लभ कार्य अपने स्वभाव को परिवर्तित करना है, यही कारण है की युद्ध भूमि मे अर्जुन विचलित हो रहे थे। Pravachan By Swami Satyamitranand Maharaj ji | Bharat Mata