भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने वर्णित किया है कि भजन का अर्थ क्या है? उनके अनुसार भजन का अर्थ जीवन के प्रत्येक क्षण में ईश्वर की अनुभूति करना है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने वर्णित किया है कि मनुष्य को प्रतिकूलता मे भी प्रसन्न रहना चाहिए। क्योंकि जब जीवन में प्रतिकूलताएं आती हैं, तो वे केवल हमारे कर्मों का ऋण चुकाने का अवसर होती हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने गीता के माध्यम से बताया है कि ईश्वर किसे कहते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो जीवन के हर मोड़ पर हमें मार्गदर्शन करता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि मनुष्य ही अपना शत्रु एवं मित्र होता है। यदि कोई व्यक्ति अपने विवेक का सही उपयोग करता है तो वह अपना मित्र बन जाता है, लेकिन यदि वह बिना विवेक के कार्य करता है तो वही उसका शत्रु बन जाता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि श्रीमद भगवद गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है कि चलाओ बाण मिलेगा निर्वाण।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि गीता केवल बुद्धि से समझी नहीं जा सकती, इसके लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव की आवश्यकता होती है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि जीवन मे सत्य का स्मरण और सत्य की स्तुति अति महत्वपूर्ण है।
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि कर्म करो फल की चिंता, मत करो। अपने कर्मों का फल भगवान को समर्पित करना, शांति प्राप्त करने का सबसे सशक्त मार्ग है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि गीता का कृष्ण अध्यात्म का परब्रह्म है। स्वामी जी कहते हैं कि संन्यास का मतलब है अपने भीतर के संसार से मुक्त हो जाना, बिना किसी आकांक्षा या द्वेष के कर्म करना।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने इस बात को स्पष्ट किया कि मंदिर संस्कारों का केंद्र है। साथ ही ज्ञान श्रद्धा, संयम और समर्पण के माध्यम से प्राप्त होता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने इस बात को स्पष्ट किया कि मानव जीवन एक यात्रा है। साथ ही स्वाध्याय और ज्ञान यज्ञ का महत्व भी बताया।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने इस बात को स्पष्ट किया कि संसार की समस्त जानकारी का अर्जन संभव नहीं है, लेकिन सच्चा ज्ञान ही हमें जीवन को सच्चे अर्थों में समृद्ध और पूर्ण बना सकता है।